Genius

Success

कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन बनाने वाली कंपनी ऐप्पल के भूतपूर्व सीईओ और जाने-माने अमेरिकी उद्योगपति स्टीव जॉब्स ने संघर्ष करके जीवन में यह मुकाम हासिल किया। कैलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में पैदा हुए स्टीव को पाउल और कालरा जॉब्स ने उनकी माँ से गोद लिया था। जॉब्स ने कैलिफोर्निया में ही पढ़ाई की। उस समय उनके पास ज़्यादा पैसे नहीं होते थे और वे अपनी इस आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए गर्मियों की छुट्टियों में काम किया करते थे।

१९७२ मेंsteav जॉब्स नेपोर्टलैंड के रीड कॉलेज से ग्रेजुएशन की। पढ़ाई के दौरान उनको अपने दोस्त के कमरे में ज़मीन पर सोना पड़ा। वे कोक की बोतल बेचकर खाने के लिए पैसे जुटाते थे और पास ही के कृष्ण मंदिर से सप्ताह में एक बार मिलने वाला मुफ़्त भोजन भी करते थे। जॉब्स के पास क़रीब ५.१ अरब डॉलर की संपत्ति थी और वे अमेरिका के ४३वें सबसे धनी व्यक्ति थे।

जॉब्स ने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए भारत की यात्रा की और बौद्ध धर्म को अपनाया। जॉब्स ने १९९१ में लोरेन पॉवेल से शादी की थी। उनका एक बेटा है।

सन् 1973 मई जॉब्स अटारी मे तकनीशियन के रूप मे कार्य करते थे। वहाँ लोग उसे “मुश्किल है लेकिन मूल्यवान” कहते थे। मध्य १९७४, मे आध्यात्मिक ज्ञान की खोज मे जॉब्स अपने कुछ रीड कॉलेज के मित्रो के साथ कारोली बाबा से मिलने भारत आए। किंतु जब वे कारोली बाबा के आश्रम पहुँचे तो उन्हें पता चले की उनकी मृत्यु सितम्बर १९७३ को हो चुकी थी। उस के बाद उन्होने हैड़खन बाबाजी से मिलने का निर्णय किया। जिसके कारण भारत मे उन्होने काफ़ी समय दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश मे बिताया।

सात महीने भारत मे रहने के बाद वे वापस अमेरिका चले गऐ। उन्होने अपनी उपस्थिति बदल डाली, उन्होने अपना सिर मुंडा दिया और पारंपरिक भारतीय वस्त्र पहनने शुरू कर दिए, साथ ही वे जैन, बौद्ध धर्मों के गंभीर व्यवसायी भी बन गया

सन् 1976 मे जॉब्स और वोज़नियाक ने अपने स्वयं के व्यवसाय का गठन किया, जिसका नाम उन्होने “एप्पल कंप्यूटर कंपनी” रखा। पहले तो वे सर्किट बोर्ड बेचा करते थे।
सन् 1976 में, स्टीव वोज़नियाक ने मेकिनटोश एप्पल 1 कंप्यूटर का आविष्कार किया। जब वोज़नियाक ने यह जॉब को दिखाया तो जॉब ने इसे बेचने का सुझाव दिया, इसे बेचने के लिये वे और वोज़नियाक गैरेज में एप्पल कंप्यूटर का निर्माण करने लगे। इस कार्य को पूरा करने के लिये उन्होने अर्द्ध सेवानिवृत्त इंटेल उत्पाद विपणन प्रबंधक और इंजीनियर माइक मारककुल्ला से धन प्राप्त किया।

सन् 1978 में, नेशनल सेमीकंडक्टर से माइक स्कॉट को एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में भर्ती किया गया था। सन् 1983 मे जॉब्स ने लालची जॉन स्कली को पेप्सी कोला को छोड़ कर एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम करने के लिए पूछा, ” क्या आप आपनी बाकी ज़िंदगी शुगर पानी बेचने मे खर्च करना चाहते हैं, या आप दुनिया को बदलने का एक मौका चाहते हैं?”

अप्रैल 10 1985 और 11, बोर्ड की बैठक के दौरान, एप्पल के बोर्ड के निदेशकों ने स्कली के कहने पर जॉब्स को अध्यक्ष पद को छोड़कर उसकी सभी भूमिकाओं से हटाने का अधिकार दे दिया।

परंतु जॉन ने यह फ़ैसला कुछ देर के लिया रोक दिया। मई 24, 1985 के दिन मामले को हल करने के लिए एक बोर्ड की बैठक हुई, इस बैठक मे जॉब्स को मेकिनटोश प्रभाग के प्रमुख के रूप में और उसके प्रबंधकीय कर्तव्यों से हटा दिया गया।

एप्पल से इस्तीफ़ा देने के बाद, स्टीव ने १९८५ मे नेक्स्ट इंक की स्थापना की। नेक्स्ट कार्य केंद्र अपनी तकनीकी ताकत के लिए जाना जाता था, उनके उद्देश्य उन्मुख सॉफ्टवेयर विकास प्रणाली बनाना था। टिम बर्नर्स ली ने एक नेक्स्ट कंप्यूटर पर वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार किया था। एक साल के अंदर पूँजी की कमी के कारण उन्होने रॉस पेरोट के साथ साझेदारी बनाई और पेरोट ने नेक्स्ट मे अपनी पूँजी का निवेश किया। सन् १९९० मे नेक्स्ट ने अपना पहला कम्प्यूटर बाजार मे उतारा जिस की कीमत ९९९९ डालर थी। पर इस कम्प्यूटर को महंगा होने के कारण बाज़ार मे स्वीकार नही किया गया। फिर उसी साल नेक्स्ट ने नया उन्नत ‘इन्टर पर्सनल’ कम्प्यूटर बनाया।

सन् १९९६ मे एप्पल की बाजार में हालत बिगड़ गई तब स्टीव, नेक्स्ट कम्प्यूटर को एप्पल को बेचने के बाद वे एप्पल के चीफ एक्जिक्यूटिव आफिसर बन गये। सन् १९९७ से उन्होंने कंपनी में बतौर सी°ई°ओ° काम किया 1998 मे आइमैक[5] बाजार में आया जो बड़ा ही आकर्षक तथा अल्प पारदर्शी खोल वाला पी°सी° था, उनके नेतृत्व मे एप्पल ने बडी सफल्ता प्राप्त की। सन् २००१ मे एप्पल ने आई पॉड का निर्माण किया। फिर सन् २००१ मे आई ट्यून्ज़ स्टोर क निर्माण किया गया। सन् २००७ मे एप्पल ने आई फोन नामक मोबाइल फोन बनाये जो बड़े सफल रहे। २०१० मे एप्पल ने आइ पैड नामक टैब्लेट कम्प्यूटर बनाया। सन् २०११ मे उन्होने सी ई ओ के पद से इस्तीफा दे दिया पर वे बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे

Comments are closed.